नारी पुकार
नारी पुकार
सुंदर मन है सुन्दर क्या
इस से जीवन बनता आया।
साथ चलती है बनके साया
फिर भी है धन पराया।।
आशा ,उम्मीद ,अभिलाषा है
अपनेपन की परिभाषा है।
हर नारी कहती अब पुकार के
बंद करो कृत्य दुराचार के।।
हर मोड़ पे एक आह सिसकती
हर नारी अस्मत के लिए लड़ती।
कोमल समझो कमजोर नही
बस अब और अत्याचार नही।।
अब राम ,कृष्ण की न करे आस
स्वयं पर करके हम विश्वास
सीता उठाये अब खुद हथियार
बनाये खुद के लिए सुरक्षित संसार।।
