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Aishwarya Tiwari

Inspirational

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Aishwarya Tiwari

Inspirational

वो मेरी माँ होने से पहले महिलाओं में वीर है

वो मेरी माँ होने से पहले महिलाओं में वीर है

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वो मेरी माँ होने से पहले

महिलाओ मे वीर है

कभी गुलाल सी गुलाबी कभी अबीर है

वो मेरी कविता में कबीर से भी माहिर हैं

मुश्किलों मे शूर वीर है 

वो मेरी माँ होने से पहले

महिलाओ मे वीर है


रोटी सी गोल उसके ललाट की बिंदी

देख के ही मेरी भूख मर जाती है 

हर बुरी नज़र मेरे करीब आने से डर जाती है 

योद्धा है वो लड़ती है हर स्तिथि मे 

जान सकता नहीं है कोई

महिला जन्म लेती है किस नक्षत्र किस तिथि मे

अकेले चलती है दुःख सुख की चिंता करते हुए 


अवकाश नहीं लेती है वो

निरंतर लगी रहती है चिता में भी जलते हुए

वो मुझे सहेज कर सवार के रखती है

उसके चेहरे की मुस्कुराहट मुझे निखार के रखती है

वो पुरुष के भेष मेरे लिए पिता का किरदार भी रखती हैं

वो बेल सी कोमलता बरगद सा जड़त्व अधिकार भी रखती हैं


वो मेरी माँ होने से पहले

वीर विरासती महिला होने का सम्मान भी रखती हैं।


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