चिंता करना व्यर्थ है
चिंता करना व्यर्थ है
भाग रही सारी दुनिया, मकसद उसका अर्थ है।
तकदीर में होगा तो मिलेगा,चिंता करना व्यर्थ है।।
करता सेवा मानव की मरकर अमर हो जाता है,
दुनिया करती है याद उसे तारा बन जगमगाता है।
सेवा हो तन, मन, धन, से जिसमें भी समर्थ है।
तकदीर में होगा तो मिलेगा चिंता करना व्यर्थ है।।
क्षण भंगूर है जीवन तेरा क्यों करता है अभिमान,
पद, पैसा, प्रतिष्ठा यहीं रहेगा छोड़ दें झूठी शान।
चले गए सम्राट भी नहीं पड़ता किसी को फर्क है।
तकदीर में होगा तो मिलेगा चिंता करना व्यर्थ है।।
मानव जीवन ये मिला है प्रभु भक्ति में लगाना,
दीन दुखियों की सेवा में एक दीप हमें जलाना।
खुशियां बांटे सबके दिलों में यही तो सत्कर्म है।
तकदीर में होगा तो मिलेगा चिंता करना व्यर्थ है।।
मात - पिता की सेवा में ही ये होते हैं चारों धाम,
सेवा,समर्पण,त्याग हो जिसमें बसे हुए हैं राम।
मात - पिता के चरणों में ही मिल जाता स्वर्ग है।
तकदीर में होगा तो मिलेगा चिंता करना व्यर्थ है।