ज़िन्दगी से उम्मीद....
ज़िन्दगी से उम्मीद....


संपूर्ण जीवन चक्र ही अस्पष्टता से भरा है…
हर पड़ाव अपने में एक रहस्य समेटे हुए है…
पर, इक बेहतर कल की उम्मीद हर पड़ाव में समान रूप से बनी रहती है…
रात्रि को प्रभात काल की किरणें देखने की उम्मीद….
कड़कती धूप में घने वृक्ष से शीतल छांव की उम्मीद…
बंजर ज़मीन को फिर से लहलहाने की उम्मीद…
कामयाबी हासिल करने की भीड़ में खुशियां ढूंढने की उम्मीद…
अपनी मोहब्बत से उसकी ‘हां’ सुनने की उम्मीद…
सीमा पर जवान को राखी अपनी बहना से बंधवाने की उम्मीद…
बुजुर्गो को अपना आखिरी वक्त अपने बच्चों संग बिताने की उम्मीद…
कभी - कभी यह उम्मीदें मात्र उम्मीद बनकर रह जाती हैं …
पर मुश्किलों में यही इक रोशनी बनकर राह भी दिखाती हैं…
हम जिस भी दौर से क्यों न गुज़र रहे हों…
आने वाले भविष्य को लेकर इक आफ़ियत उम्मीद बनी ही रहती है… ।