बचपन...
बचपन...


जीवन का पहला व सबसे ख़ूबसूरत पड़ाव…
मासूमियत और पवित्रता से सराबोर…
जिसे कठिनाइयों ने अबतक हतास नहीं किया …
जिसे इंसानी लोभ ने दूषित नहीं किया…
जिनमें अनगिनत असफलता पर भी प्रोत्साहन मिलता है…
जिसे समाज ने अपनी कभी न पूर्ण होने वाली असिमित उम्मीदों से भरा नहीं…
जिनमें हर स्थिति – परिस्थिति में लगाव और अपनापन है…
जिनमें नंगें पग चलने पर भी कांटे नहीं चुभते…
जिनमें आगे बढ़ने की चाहत है पर किसी को पीछे छोड़ने की मंशा नहीं…
जिनमें भाईचारे में शरारत तो है पर हृदय में मनमुटाव नहीं…
पर … इस पड़ाव की समय सीमा भी पहले से निर्धारित होती है…
जिन्हें हम चाहकर भी अनंतकाल तक नहीं ले जा सकते…. ।