कभी ऐसा भी...!
कभी ऐसा भी...!


कभी झूठ भी ख़ूबसूरत लगते हैं…
तो कभी सच ज़ख्म दे जाते हैं…
कभी दूरियां नज़दीक लाती हैं…
कभी गहरी नजदीकियां भी उम्र भर का ग़म दे जाती हैं…
कभी जगमगाहट आंखों में चुभता है…
कभी अंधेरा भी हृदय को सुकून देता है…
कभी सारे रंग मिलकर भी फीके लगते हैं…
कभी सादगी ही मन में समां जाता है…
कभी भरी महफ़िल में तन्हाई सताती है…
कभी तन्हा होकर खुद से मुलाकात हो जाती है…
कभी लाख कोशिशों पर भी मुठ्ठी खाली रह जाती है…
कभी उसकी नेमतों से सारी मुराद पूरी हो जाती है… ।