मनुष्य का युग
मनुष्य का युग
राम ने अपना युग जिया कृष्ण ने अपना
पर अब आ गया है मनुष्य का युग
जहाँ मनुष्य ही पूजा जाएगा
इस युग में आलसियों की ज़रूरत है साहब
मेहनत करने वाला किसी भी काम ना आएगा
मानव मानव ना रह कर दानव बन जाएगा
शर्म भी कुछ होती है ये भी भूल जाएगा
रंग बदलेगा ऐसे के गिरगिट भी डर जाएगा
व्यवहार रखेगा तब तक जब तक
उसका काम ना निकल जाएगा
फिर आ जाएगा अपने असली
रूप में और तुम्हें डराएगा
ये युग है ऐसा के इंसान चाँद तक
पहुँच जाएगा पर द्वेष से भरे मन को
चाँद सा सफेद ना कर पाएगा
नहीं बनेगा कोई श्रवण कुमार हर आदमी
माता पिता को वृद्धि अश्रम छोड़ आएगा
जो करेगा चापलूसी वो आगे बढ़ जाएगा
और कोशिश करने वाला बैठ रह जाएगा
जी पाएगा वही जो बेमानी की खाएगा
सच्चाई करने वाला तो भूखा मर जाएगा
क्योंकि ये युग है मनुष्य का यहाँ मनुष्य ही पूजा जाएगा