मर भी गए तो मिलेंगे वहीं
मर भी गए तो मिलेंगे वहीं
थी कितनी वो रात हसीन
लबों से हमने कहानी लिखी
कुछ मैंने कही कुछ तुम्हें कही
वादों से हमने दास्तान बुनी
दो ही सही पल याद रहेंगे
जब तक दिल में धड़कन रही
अवाज़ ना हो ना साज़ कोई
जहां दुनिया की दिवार नहीं
जहां कोई रुत और रिवाज़ नहीं
मर भी गए तो मिलेंगे वहीं
याद करेंगे हमको वो दिल
सहम सहम जब मिलेंगे कहीं
खत और फूलों पे होगा कहीं
अमर हमारा नाम वहीं
दो ही सही पल याद रहेंगे
जब तक समय में चाल रही
शक ना हो ना डर कोई
जहां गम की बयार नहीं
जहां कोई रुत रिवाज़ नहीं
मर भी गए तो मिलेंगे वहीं।