आत्म-मंथन...
आत्म-मंथन...
सबसे बड़ी चुनौती है
इस दुुनिया मेंं स्वयं को
संपूर्ण निस्वार्थ भाव से संगठित कर
स्वतंत्र सत्ता के रूप में
संगठित करना एवं
इस समाज के
स्वार्थी तत्वों से स्वयं को
दूर रखकर
यथार्थ जीवनयापन करना।
जिन रास्तों पर
हममें से कुछ लोग
वक्त-ओ-हालात से
मात खाकर
आत्मसमर्पण कर देते हैं,
उन्हीं रास्तों पर
कुछ हिम्मतवाले और
मेहनतक़श इंसान
चलने का प्रयास करते दिखते हैं...!
अत: हमें अपना प्रयास
निरंतर ज़ारी रखना है...
एवं इस समाज को
पूर्णत: स्वार्थ-मुक्त करना है।