"खुद में सुधार"
"खुद में सुधार"
खुद में तू साखी सुधार कर
जिंदगी को तू गुलजार कर
सफलता क्यों न मिल रही?
यह बात तू मालूमात कर
तुझसे भूल कहां हो रही है
भूत में जाकर तू याद कर
खुद में तू साखी सुधार कर
अपने आप को सज्जाद कर
कमियां दिल से, स्वीकार कर
झूठी प्रशंसा का तू त्याग कर
कोई करे तेरी यहां पर निंदा,
इस बात पर तू विचार कर
राह ही गर गलत हो हमारी
कैसे मिलेगी मंजिल बेचारी?
राह के पत्थरों से तू बात कर
सही दिशा का तू इकरार कर
खुद को न इतना निराश कर
भूल में अपनी तू सुधार कर
भीतर न इतना अंधकार कर
तू दीपक है, तेज प्रकाश कर
भूत ही तो बर्बाद हुआ है, तेरा
भविष्य का न तू बंटाधार कर
वर्तमान को ऐसी तलवार कर
मिटे भूत का भूत, चमत्कार कर
गलती का खत्म किरदार कर
खुद में तू साखी सुधार कर
खुद को अंगुलि मार डाकू से,
वाल्मीकि जैसा बदलाव कर।