STORYMIRROR

Ganesh Chandra kestwal

Inspirational

4  

Ganesh Chandra kestwal

Inspirational

भाव विभोर

भाव विभोर

1 min
14

निज भवन में राम बिराजे, 

मधुर गीत हर उर में बाजे

नींद भूख नहि प्यास सताए

भाव विभोर हो मन हरषाए


राम नाम शुभ हृदय गाए

भाव सिंधु में फिर उतराए

दर्शन सौख्य लोचन शुभ पाते

दीर्घ काल की प्यास बुझाते 


अतिशय सुंदर मूर्ति राजती

अनुपम हर हृदय विराजती

भक्त असंख्य निर्निमिष देखते

अघ अशेष सतत सोखते


राम रसायन चित्त धारते

पथ कर्तव्य से नहीं हारते

भव सिंधु से राम तारते 

तन मन धन प्रभु चरण वारते॥


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational