यकीं मानों हलावट से निकलना आ गया मुझको यकीं मानों हलावट से निकलना आ गया मुझको
फ़िर आज़ाद होकर हौसलों की उड़ान भरते है फ़िर आज़ाद होकर हौसलों की उड़ान भरते है
अल्फाज़ की हथकड़ी से, एहसास की बेड़ियाँ डाल कर, अल्फाज़ की हथकड़ी से, एहसास की बेड़ियाँ डाल कर,
जी चाहता है कि पंख फैला कर उड़ जाऊँ इस आसमान में बस एक पंक्षी की तरह फिर लगता है समेट लूँ उन पंख... जी चाहता है कि पंख फैला कर उड़ जाऊँ इस आसमान में बस एक पंक्षी की तरह फिर लगत...
मैं तो ठहरा बस एक सादा शरबत, हर रस में तुम यारा घुल जाती हो मैं तो ठहरा बस एक सादा शरबत, हर रस में तुम यारा घुल जाती हो
फिर क़ैद कर के तुम्हें एक शीशी में, गिनूँगी तुम्हारी छोटी छोटी साँसें फिर क़ैद कर के तुम्हें एक शीशी में, गिनूँगी तुम्हारी छोटी छोटी साँसे...