कागज़ की जेल
कागज़ की जेल
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ये डायरियाँ उसी की हैं,
जो मुझे कागज़ की जेल में,
हमेशा के लिए क़ैद कर गई ,
अल्फाज़ की हथकड़ी से,
एहसास की बेड़ियाँ डाल कर,
मेरे हाथों से यूँ निकल गई,
जैसे कटर से पेंसिल की खाल,
जैसे कच्ची पेंसिल से लिखे अल्फाज़ ,
रबर की एक रगड़ से मिट जाते हैं,
ये डायरियाँ उसी की हैं,
जो अब इस दुनिया में नहीं है