Aazad Insan
Aazad Insan
कब तलक घर में रहे क़ैद ये आज़ाद इंसाँ ?
लॉकडाउन हुआ ऐसा हुआ बर्बाद इंसाँ।
ख़ौफ़ ऐसा है कि सब घर में छुपे बैेठे हैं,
आज इंसान को आया है बहुत याद इंसाँ।
कोई बीमारी जो दुनिया में क़दम रखती है,
उसकी ख़ुद रखता है दुनिया में ये बुनियाद इंसाँ।
आज कहते हैं सभी हाल बुरा है सब का,
इससे पहले भी कभी बोलो था आबाद इंसाँ?
ये कोई मर्ज़ नहीं है ये अज़ाब-ए-रब है,
तौबा कर अपने गुनाहों को तू कर याद इंसाँ।