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Kusum Lakhera

Tragedy

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Kusum Lakhera

Tragedy

बदलते दौर में प्यार

बदलते दौर में प्यार

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बेशक ढाई आखर का होता है प्यार !

पर इसकी महिमा है ..अपरम्पार 

दो दिलों को स्नेह से जोड़ता है ये ..

रूख जिंदगी का समर्पण की ओर,

 मोड़ता है , ...

दो दिलों के सूनेपन में गूंजती है ..

संगीत के सात सुरों की सरगम !

ओर मधुर गीतों की गुंजार ....

प्यार सूरज की किरन सा ..फैलाता है !

स्वर्णिम ज्योति से दूर करता है अंधकार!

प्यार चारु चंद्र की किरन सा ..देता है,

असीम शांति ...बशर्ते प्यार में कोई शर्त !

न हो ...समझौते की नींव पर जो प्यार ,

का घरौंदा बनाया जाता है .…

वह जल्द ही धराशायी हो कर मिट्टी

में ,

मिल जाता है !

आज के बदलते दौर में प्यार का रूप भी ,

बदल रहा है ..…

आज दो दिलों के प्यार में स्वार्थ के रूप में ,

ढल रहा है .....

शायद आज के डिजिटल युग में..

प्यार भी डिजिटल हो रहा है ..

प्यार जो एक भाव था ..पावन सा !

वह सिर्फ़ मुनाफ़े में तब्दील हो रहा है!

शायद इसी कारण प्यार के फूल खिलने,

से पहले ही मुरझा रहे हैं !

जो कहते थे कि हम सात जन्मों का साथ ,

निभाएँगे ..

अब वह एक दूजे से भी नजरें चुरा रहे हैं !

शायद नेट के चक्रव्यूह में धीरे धीरे ...

अन्तरंगी  रिश्ते....टूटते जा रहे हैं।


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