बदलते दौर में प्यार
बदलते दौर में प्यार
बेशक ढाई आखर का होता है प्यार !
पर इसकी महिमा है ..अपरम्पार
दो दिलों को स्नेह से जोड़ता है ये ..
रूख जिंदगी का समर्पण की ओर,
मोड़ता है , ...
दो दिलों के सूनेपन में गूंजती है ..
संगीत के सात सुरों की सरगम !
ओर मधुर गीतों की गुंजार ....
प्यार सूरज की किरन सा ..फैलाता है !
स्वर्णिम ज्योति से दूर करता है अंधकार!
प्यार चारु चंद्र की किरन सा ..देता है,
असीम शांति ...बशर्ते प्यार में कोई शर्त !
न हो ...समझौते की नींव पर जो प्यार ,
का घरौंदा बनाया जाता है .…
वह जल्द ही धराशायी हो कर मिट्टी
में ,
मिल जाता है !
आज के बदलते दौर में प्यार का रूप भी ,
बदल रहा है ..…
आज दो दिलों के प्यार में स्वार्थ के रूप में ,
ढल रहा है .....
शायद आज के डिजिटल युग में..
प्यार भी डिजिटल हो रहा है ..
प्यार जो एक भाव था ..पावन सा !
वह सिर्फ़ मुनाफ़े में तब्दील हो रहा है!
शायद इसी कारण प्यार के फूल खिलने,
से पहले ही मुरझा रहे हैं !
जो कहते थे कि हम सात जन्मों का साथ ,
निभाएँगे ..
अब वह एक दूजे से भी नजरें चुरा रहे हैं !
शायद नेट के चक्रव्यूह में धीरे धीरे ...
अन्तरंगी रिश्ते....टूटते जा रहे हैं।