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Sangeeta Agarwal

Tragedy

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Sangeeta Agarwal

Tragedy

चांद सी सुंदर

चांद सी सुंदर

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चांद सी सुंदर चाहिए,बहुत अच्छा है,

मिलेगी जरूर,पर कुबूल उसके दाग करो।

हर जगह परफेक्शन चाहने वालो,

पहले खुद को भी तो बेदाग करो।

बुद्ध घर से बाहर निकलते हैं तो

सन्यासी हो जाते हैं,

पर सीता को अग्नि परीक्षा

देनी पड़ती है।

जहां दोनो के लिए अलग

अलग नियम चलते हैं,

वहां चांद सी सुंदर की

क्यों तलाश करते हैं?

क्या कभी "हीरे सा मन"

वाला पुरुष किसी ने ढूंढा है?

या चांद सी सुंदर स्त्री ढूंढकर

उसका दाग ही उम्रभर टटोला है?



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