लाल गुलाब
लाल गुलाब
गुलाब और वो भी लाल !
किन यादों को जगा दिया आज,
दिया था किसी ने उसे भी कभी
सुर्ख रंग का एक लाल गुलाब।
कभी उसको,कभी गुलाब देखती वो
शर्माती,सिमटती खुद को लपेटती वो,
जब समझी कि ये हुआ क्या उसके साथ
देने वाला गुलाब,हो गया ओझल, छोड़ साथ।
एक एक पत्ती को वो समेटती रही ताउम्र
कमबख्त,एक एक सूख कर झरती रहीं।
सिर्फ कांटे बचे थे डंडी में अब जिनसे
वो अपनी हथेली लहूलुहान करती रही।
जब तक नया रहता है,गुलाब सुंदर रहता है
खुशबू,रंग,सुंदरता बिखेरता है अपनी।
संग में उसके कांटे भी होते है,ध्यान रखिए
कोई सुंदरता,नहीं टिकती,बिना परेशानी।
लाल गुलाब,प्यार का प्रतीक होता है
लेकिन प्यार को प्यार बनाए रखना
आपका जिम्मा होता है,जो नयनाभिराम है आज
कल को वो हाथ जख्मी भी करना जानता है।