तेरा नाम लेने की तलब
तेरा नाम लेने की तलब
एक हूक सी उठी दिल में ....
तेरा नाम लेने की तलब ,
ये उंगलियाँ मचल उठीं तब ,
तुझे भेजने संदेश बेधड़क।
तूने देख मेरा संदेश ,
भेजा अपना भी तुरंत ,
मैं वारी - वारी जाऊँ पढ़ के ,
अपने यार को अपना समझ।
वो लम्हे वो बातें याद आयें ,
जिनमे थे हम मुस्कुरायें ,
कभी इशारों से मनायें ,
कभी ऐसे ही हम रूठ जायें।
कुछ देर संदेशों से घिरी ,
मैने फिर से तेरी माला जपी ,
फिर कहकर ये विदा किया ,
कल फिर मिलेंगे अभी शुक्रिया।
तू चला गया बिन जाने तब ,
तेरे नाम लेने की लगी थी मुझे तलब ,
मैने चूमा होठों से अपना मोबाइल ,
जिसमे आया था तू लिए संदेशों की चमक।|

