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Abhishek thakur Adheer

Romance

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Abhishek thakur Adheer

Romance

देवि अजानी

देवि अजानी

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तुम्हें समर्पित दीपक मेरा

मन मंदिर की देवी अंजानी।


अश्रु अर्ध्य तुमको अर्पण है।

यह घुटती दम का तर्पण है।

प्रतिबिंबित जिसमें तुम हर क्षण

मन मेरा ऐसा दर्पण है।


आकर तुम तक रुक जाता वो

जिसने अपनी हार न मानी।


यह दीपक मेरी आशा है।

यह मेरी हर अभिलाषा है।

मौन जिसे पढ़ता आया है,

यह दीपक ऐसी भाषा है।


चुप होकर सुनना तुम इससे

यह कहता है कथा पुरानी।


इसकी लौ - सा मैं भी जलता।

कण-कण हो मैं रोज पिघलता।

आलोकित पथ किन्तु तुम्हारा

देखो! मैं करता चलता हूँ।


सीखी मैं ने इस दीपक से

तुमसे अपनी प्रीत निभानी।



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