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Arunima Bahadur

Romance

4  

Arunima Bahadur

Romance

प्रेम एक अद्भुत प्रेम

प्रेम एक अद्भुत प्रेम

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क्या है प्रेम,

जितना जानना जरूरी है,

उतना ही इसे जीना जरूरी है,

प्रेम मांगता नही,

केवल देता है,

दर्द प्रियवर को हो,

तो हर प्रेमी रोता है,

दर्द को सहता हैं

प्रेम तो मन का स्पर्श है,

मन का एकात्म है,

मन का मिलन है,

चाहे मीलों की दूरी हो,

कितनी भी मजबूरी हो,

बस प्रेम दिलों को मिलाता है,

खुद को गला करुणामय बनाता है,

बस फिर प्रेमी एक हो जाते हैं

जब प्रेम,समर्पण,त्याग से

खुद को सजाते हैं,

केवल गुणों की पूजा होती है,

जहाँ दिल मिल जाया करते हैं

एक दूजे के लिए वह

अद्भुत त्याग कर जाया करते हैं,

जहाँ केवल तन ही प्रेम

का रूप समझते हैं,

वहाँ प्रेम दफ्न हो जाया करते हैं,

कुछ नही रहता शेष,

दिल मुरझाया करते हैं,

करो प्रेम ऐसा,

तन से तन का स्पर्श हो न हो,

मन से मन का स्पर्श हो जाये,

फिर तो यह जीवन भी एक वरदान बन जाय,

दिलो में प्रेम ही प्रेम भर जाए,

बस प्रेम ही प्रेम भर जाए।।

   


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