STORYMIRROR

sachin kothiyal

Romance Others

3  

sachin kothiyal

Romance Others

खतों की राख

खतों की राख

1 min
51


ये जो महोब्बत है ये सस्ते खेल की दुकान नहीं है।

दिल टूट जाते हैं जां लुट जाती है महबूब जो मेहरबान नहीं है।


ये जो चेहरे देख रहे हो, सब के सब लूटे हैं मोहब्बत में। 

किसी की जान जान में है तो किसी में जान नहीं है।।


इस पार भी और उस पार भी बस ये एक ही दरिया है

प्यार का।

यहाँ कोई भारत और कोई पाकिस्तान नहीं है।।


ये मोहब्बत टूटती नहीं आसानी से मेरे दोस्त!

मेक इन इंडिया है कोई चाइनीज सामान की दुकान नहीं है।।


ये जो राख उड़ती हुई आ रही है उसके महबूब के खतों की।

इससे बड़ा उस आशिक़ का कोई इम्तिहान नहीं है ।।


Rate this content
Log in

More hindi poem from sachin kothiyal

Similar hindi poem from Romance