खतों की राख
खतों की राख
ये जो महोब्बत है ये सस्ते खेल की दुकान नहीं है।
दिल टूट जाते हैं जां लुट जाती है महबूब जो मेहरबान नहीं है।
ये जो चेहरे देख रहे हो, सब के सब लूटे हैं मोहब्बत में।
किसी की जान जान में है तो किसी में जान नहीं है।।
इस पार भी और उस पार भी बस ये एक ही दरिया है
प्यार का।
यहाँ कोई भारत और कोई पाकिस्तान नहीं है।।
ये मोहब्बत टूटती नहीं आसानी से मेरे दोस्त!
मेक इन इंडिया है कोई चाइनीज सामान की दुकान नहीं है।।
ये जो राख उड़ती हुई आ रही है उसके महबूब के खतों की।
इससे बड़ा उस आशिक़ का कोई इम्तिहान नहीं है ।।