सावन की मेंहदी
सावन की मेंहदी
सावन की मेंहदी सजने लगी मेरे हाथों में,
साजन की याद महकने लगी जज़्बातों में,
बेज़ुबान ख़ुशियों के मासूम लम्हे हैं तो क्या?
आँसू बसे, पलकों के साये अँधेरी रातों में
एक बूँद अश्क की उभर आयी तो क्या?
लकीरें तो मुस्कुराने लगी हैं मेरे हाथों में
सावन की मेंहदी सजने लगी मेरे हाथों में,
साजन की याद महकने लगी जज़्बातों में,
उनसे मिलन का सफ़र लम्बा है तो क्या?
मंज़िल के निशान दिखने लगे मेरे हाथों में
हरी मेंहदी का रंग उतर जाये तो क्या?
लाल रंग प्रेम का तो बसा है मेरे हाथों में
सावन की मेंहदी सजने लगी मेरे हाथों में,
साजन की याद महकने लगी जज़्बातों में...

