हो कर दिल की कश्ती पर सवार
हो कर दिल की कश्ती पर सवार
हो कर दिल की कश्ती पर सवार
अरमान अपने पूरे करने निकले,
आहा! हसरतों के अधूरे ख़्वाब
फ़लक पे मुकम्मल होने निकले।
हवाओं के रथ पर सवार हो कर
नभ पर तारों से मिलने निकले।
अब न रोक पाएँगी वक्त की आँधियाँ इन्हें,
न डगमगायेंगी राहों की भूल-भुलैया इन्हें।
हर तूफ़ान से टकराकर आगे बढ़ने निकले ।
धरती के सुंदर पंछी चले जाये भी तो क्या?
रात होने से पहले मंजिल को पाने निकले।
होकर दिल की कश्ती पर सवार
अरमान अपने पूरे करने निकले ,
आहा! हसरतों के अधूरे ख़्वाब
फ़लक पे मुकम्मल होने निकले।
हवाओं के रथ पर सवार हो कर
नभ पर तारों से मिलने निकले।