इन्द्रधनुषी सपने
इन्द्रधनुषी सपने
इन्द्रधनुषी सपने
अवसादों के घने साए में,
जब खो जाती हैं आशाएँ,
शाम के सुरमई अँधेरों में,
जब मन देता है सदायें,
तो शुभ्र-चन्द्र-किरणों के
रथ पर सवार हो कर,
झिल-मिल-झिल-मिल
तारों की सौगात लिए,
रुपहली-सुनहरी यादों
के सिरहाने बैठ कर
मन के किसी अतीत की
याद दिलाते हैं,ये सपने.
ये इन्द्रधनुषी सपने.
धुंधली राहों में,
जब खो जाते हैं अपने.
तो स्वप्निल नयनों में
अश्रुकण झलकाते
कभी अंतस् के गहन
अवचेतन में,
आशाओं के दीप जलाते
मन के उजले आँगन में
रंग-बिरंगे रंग सजाते,
ये इन्द्रधनुषी सपने.
कुछ मूक प्रश्न,
कुछ अनुत्तरित प्रश्न.
बसे अंतस्तल में,
खोजते उत्तर,
बंद पलकों में
मौन नयनों के भीतर
चित्रलिपि की भाषा बाँचते
अनसुलझी पहेलियाँ सुलझाते,
कभी भविष्यवेत्ता बन कर
और भी रहस्यमय बन जाते
ये इन्द्रधनुषी सपने.
अंतस् के तम को हरते,
कभी हँसाते, कभी रुलाते,
कभी जिज्ञासु मन के कौतूहल पर
मंद-मंद मुस्काते ये सपने.
सत्य-असत्य की सीमा रेखा पर
छोड़ जाते अवाक मन
ये सपने,ये इन्द्रधनुषी सपने.