मोहब्बत का आईना
मोहब्बत का आईना
ज़िन्दगी मोहब्बत का आईना बन गयी,
अनाम रिश्ते का हसीं मायना बन गयी.
तुम्हारे नाम को ज़माने से छिपा रखा है,
आरज़ू को घनी जुल्फों में छिपा रखा है.
अपने सीने का दर्द किस- किस से छुपा लूँ?
तुम्हारा आँचल ही अपने दिल पे उढ़ा रखा है.
रिश्ता छिपा है एक झीनी सी चिलमन में,
तुम्हारी यादें बिखर गयीं हैं,हसीं खवाबों में,
दिल की हालत किस-किस से छिपा लूँ 'शील'?
बंद पलकों में और बेताबी सही जाती नहीं।