तुम रहो
तुम रहो
तुम सुंदर रहो सदा बहार मुस्कुराती इस मौसम सी
प्यारी है तुम्हारी हँसी खिल खिलती इस मौसम सी
एहसास है कुछ जो कभी महसूस न हुआ हम को
प्यार की लहर हमारे दिल में बहती इस मौसम सी
बहकी बहकी है हवाएँ मदहोशी है फ़िज़ाओं में जां
जो हालतें ख़राब आसमां की मिलती इस मौसम सी
तूफ़ानों का सिल सिला अब चलने वाला है कल से
हो रही हो जुदा मिलकर तुम बदलती इस मौसम सी
क्या लाओगी बरसात सहारा की रेत भिगाओगी
बंज़र ज़मीं में आएगी तब कुछ नमी इस मौसम सी
सब कुछ हमने पाया जो तुमने हमें अपना बनाया है
जान भी तुम हो तुमसे है सांसें चलती इस मौसम सी
डर सताए एक हर दिन और रात ओ हर पल मुझ को
तुम न जाना दूर कभी रूठना न कभी इस मौसम सी

