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Tera Sukhi

Others

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Tera Sukhi

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जानते तो थे

जानते तो थे

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जानते तो थे उसे पर अनजान बने रहे

वो जान के दुश्मन थे जो जान बने रहे 


आस्तीन में आये थे साँप कुछ मेरी भी 

वही मरते दम तक  खानदान बने रहे


हम वीरान सहरा बने जिनकी यादों में

वही खिले गुलाबों के गुलस्तान बने रहे


दो गज़ ज़मीं न हुई नसीब मरते वख्त

ओर वो ताउम्र ऊँचे आसमान बने रहे 


शजर टूटे आंगन के सब परिंदे उजड़े

वो उजड़े परिंदे उसके मेहमान बने रहे  


वो जुगनू उड़ते हुए सारे किए गए कैद 

वो शिकारी उजालों के नादान बने रहे 


ईमान बेचकर सुख भला क्या चैन पाया 

जहाँ सब साँस भी तेरे बईमान बने रहे 



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