* कुछ रास्ते *
* कुछ रास्ते *
कुछ रास्ते सच बायां किया करते हैं
दर्द कुछ ज़ख्म गहरे दिया करते हैं।
अपनों से उम्मीद न बाकी अब कुछ
अपने ही खंज़र से वार किया करते हैं।
यादों की बारात में अक्सर हम उनकी
वो पीछे हम आगे आगे हुआ करते हैं।
हर रात निकलते है जुगनू शर्माते है
जब इन्हें वो हिथों से छुआ करते हैं।
जशन मना कर हम अपनी हार का
जाम उनकी निगाहों से पिया करते हैं।
बहक जाते है जाने क्यूँ सब ज़ज़्बात
जो हर दिन दो पल जिया करते हैं।
दो पल की है हमारी ये ज़िन्दगानी जो
सब लोग चार दिन की कहा करते हैं।
जो बताते है प्यासे अपने आप जो जां
वही लोग पानी कुओं से पिया करते हैं।
कुछ रास्ते सच बायां किया करते हैं
दर्द कुछ ज़ख्म गहरे दिया करते हैं।