* बेवजह तो नहीं *
* बेवजह तो नहीं *
बे वज़ह तो नहीं यूँ ही ख़्यालों में कोई आया है
कोई तो वजह है जो चेहरा उनका याद आया है
क्या अदाएँ है तितलियों से उड़ती है याद उनकी
याद कर पुरानी याद भँवरों का मन भर आया है
मचलने लगी हवाएँ मख़ौल करने लगी मुझ से
नाम तेरा लिया तो तेरा वो गुस्सा याद आया है
बे वज़ह झगड़ते हुए देख आसमां से परिंदों को
तेरा मेरे संग उड़ना और वो गिरना याद आया है
गुल लश्कर बन गये जो मैंने बोए तेरी यादों में
हथियार हाथों में पहले सा गुलाब नज़र आया है
बौछार करो मुझ पर वार की पहले सी तुम जान
हर वार में मुझे जां तुम्हारा प्यार नज़र आया है
क्या हुआ रंग का क्या मसला लाल हो या काला
मेरे ज़ख्मों का रंग मुझे तो गुलाल नज़र आया है
मरहम मत लगाओ मर हम गये आज जीते जी
जब देखा मिटा हुआ चेहरा उनके ज़हन से अपना
आज उनके दिल में मुझे कोई गैर नज़र आया है
बे वज़ह तो नही यूँ ही ख़्यालों में कोई आया है
कोई तो वजह है जो चेहरा उनका याद आया है