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Kamal Purohit

Romance

3  

Kamal Purohit

Romance

अंतर्द्वंद-2

अंतर्द्वंद-2

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फिर से मेरा 

मन घूमने चला

अपने प्रियतम 

को ढूंढने चला।


सोच रहा था मैं इस 

स्याह काली रात में

दिन के उजालों में

क्यों नहीं हिला डुला।


कल के अंतर्द्वंद से

परेशान था बेचारा

तर्क करने की उसकी

हिम्मत खत्म हो गयी।


फिर से दिमाग ने 

ज़ख्मों को कुरेदा

लेकिन मन मेरा

मौन था कुछ न बोला।


फिर उसने पलट कर 

जवाब दिया दिमाग को

जिस दिन तुम किसी से

प्यार कर लोगे उस दिन।


मुझसे तर्क करने आना

तेरे हर सवाल का उस

दिन तुम्हे जवाब मिलेगा

क्योंकि उस दिन

तेरे अंदर भी 

एक दिल धड़केगा।


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