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Sanjay Jain

Romance

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Sanjay Jain

Romance

क्या कहती दिल की धड़कन

क्या कहती दिल की धड़कन

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कितना में समझता हूं,

अपने इस दिल को।

फिर भी ये दिल,

धड़के बिना रुकता नहीं।


अब तुम ही बताओ,

करू तो क्या करूँ।

जिससे दिल की धड़कन, 

देखकर किसी को न धड़के।


कहते हैं जब नजरों का,

नजरों से होता है मिलन।

तो दिल जोरों से धड़कता है

और एक आह दोनों के,  

 दिल से निकलती है।


इसका क्या मतलब होता है,

कोई हमें बतलायेगा ?

बीत जातें है मिलने, 

मिलाने में सालों।


फिर भी सिलसिला, 

मोहब्बत का रुकता नहीं।

कैसे कह दे हम तुमसे,

की मेरा दिल भरता नहीं।


इसलिए तुम्हें दिल में,

सजाए रखता हूँ।

अरमा जुबा पर लाने से डरता हूँ

क्योकि बेपनाह मोहब्बत,

तुम से करता हूँ।


और सोचता हूँ कि कहीं, 

तुम सुनकर रुठ न जाओ।

और मोहब्बत की दुनिया में,

अकेला न हो जाऊं।


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