मेरे हमसफ़र
मेरे हमसफ़र
सुनो comrade,
जीवन में जब उलझी, तू सुलझन बनकर आया
दूर किया तूने हर पल, मेरे गम का काला साया
तपती धूप में तू आया, जैसे शीतल सी हो छाया
तुम ही सच हो जग में, बाकी सब है मोह माया
भरी जगह तुमने उसकी, मुझे जो जग में लाया
जो भी चाहा जीवन में, मैंने वो तुझसे ही पाया
हर रंग देखा जीवन का, जब अपनो ने ठुकराया
नहीं कोई था संगी साथी, तब तूने साथ निभाया
क्या करूँ तुझको अर्पण, खाली मिट्टी है ये काया
जीवन कैसे जीना है, मुझको तुमने ही सिखलाया हूँ
मैं उस जग में अब, उम्मीद से जिसे तूने सजाया।

