हे नारी
हे नारी
चल पंख पसार के भर उडा़न ऊंचे इस आकाश में
तेरी छवि चमकेगी आत्मविश्वास के दिव्य प्रकाश में
संतों के लिए तू लक्ष्मी असुरों के लिए तू है काली
अगर करे तू दृढ निश्चय तो प्रयास ना जाए खाली
तू मां है तू ही गुरु हैं तुझे जरूरी नहीं कोई सहारा
तू निर्मल सी बहती रहती तेरा शीतल भरा किनारा
बचपन से बुढ़ापे तक तुझे समझा जाता कमज़ोर
ना पडूंगी कमजोर अब चाहे लगाले दुनिया कितना जोर
लड़ जाउंगी अपने हक के लिए पाऊंगी अपना
मान-स्वाभिमान से मिलेगा मुझको भी अब मेरे हिस्से का सम्मान।
