तुम मुहब्बत नहीं सरकार हो मेरी
तुम मुहब्बत नहीं सरकार हो मेरी
हां इश्क है तुमसे ये अब हम सरेआम कहते हैं
तुम मुहब्बत नहीं सरकार हो मेरी अब हम ये एलान करते हैं।।
तुम्हें देख कर ही खुद का इल्म होता है मुझे
वरना तो हम खुद को बिना जान का कहते हैं।।
तुम मेरे लिए सिर्फ इश्क नहीं नफस हो मेरी
अब हम ये खुद एहसास करते हैं।।
तुम खुद पे गुरूर किया करो ए हमसफर
तुम्हें हम अपनी हयात कहते हैं।।

