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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Romance

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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Romance

अपलक देखते रहना

अपलक देखते रहना

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अच्छा

लगता था

उसके

चेहरे की 

मुस्कान को

अपलक

निहारते रहना

अच्छा

लगता था

उसके

इर्द गिर्द

भौरों की भाती

मंडराते रहना

उसको राहत

में

देखकर

अच्छा लगता है

बहुत ही

अच्छा लगता है

मैं जब भी देखूं

तुम्हे हंसता हुआ

हीं देखू

गमों के अंधड़

तुम्हे छू न सके

यही दिल से

कामना करता हूं।



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