सावन मास
सावन मास
रिमझिम सी बरसात सखी री,
याद पिया की ले आई।
तुम हो कितने दूर,
यही मन को न भाई।
मैं बेचारी आज किनारे नदिया बैठी,
आओगे तुम आज यही मैं सोचती रहती।
नैनन में है नीर, आप मेरे दिल में आये।
यादों को माला मुझे अति तड़पाये।
कब आओगे प्रिय तुम्हारी बाट निहारूँ
मिल जाये मेरे मीत, हिय में सोचती जाऊँ।
सावन आया झूम के आ जाओ तुम आज
मन मेरा भी हर्षित हो, मुस्काऊँ मैं आज।

