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Saroj Garg

Classics

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Saroj Garg

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दोहे -दुर्गा माँ

दोहे -दुर्गा माँ

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दुर्गा के नौ रूप हैं, शक्ति रूप अवतार ।

सच्चे मन से पूज लो, जीवन होगा पार ।।


शुभागमन है मातु का, जगमग है दरबार। 

शक्ति रूप अवतार हैं, हो सबका उद्धार।।


लाल चुनरिया सोहती, लाल गुलाब सुहाय।

मुकुट सुहाना सोहता, भक्तिन रही लुभाय।।


नौ दिन के अवतार में, माँ के रूप अनेक। 

कहीं शीतला है बनीं, करें कामना नेक।।


माँ का सुमिरन जो करें, भक्ति भाव गुणगान।

मैया मेरी तारतीं, देती शुभ वरदान।।


माता अपने भक्त का, रखती हैं नित ध्यान। 

मन इच्छा वर दे रहीं, बालक हैं अज्ञान।।


शक्ति स्वरूपा मात की, सेवा करलो खास। 

बिगड़े कारज सब बनें, मन में हो विश्वास।।


माँ दुर्गा सुखदायनी, शक्ति भरी भंडार ।

भवसागर से तारतीं, कर देती उद्धार।।


सवा रुपैया नारियल, हलुआ पूरी साथ। 

भोग लगाओ प्रेम से, अक्षत रोली हाथ।।


सिंह सवारी मातु की, बिन्दी सोहे लाल।

दुष्टों को संहारती, लिए हाथ में भाल।।


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