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Saroj Garg

Inspirational

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Saroj Garg

Inspirational

सजन

सजन

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सजन झूठे लगते हो, कहे राधा बावरी। 

सुनो तुम मोहन प्यारे, लगे महावर पाँवरी ।।

कहूँ क्या तुमसे कान्हा, तुम्हीं मेरे साँवरे। 

दिया दिल तुझको मैंने ,बनीं तेरी बाँवरे ।।

बजाओ सुर में गिरधर ,जरा अपनी बाँसुरी 

नहीं बुझती है मन की, कहाँ मन की प्यास री ।।

छिड़ेगी अब तो माधव, हृदय की मन रागिनी ।

सुनो जी अब तो तेरी, बनी हूँ मैं भामिनी ।।

सदा ही ऐसी जोड़ी, बनी है मनभावनी ।

लगेगी सबको ये तो ,सदा यहाँ सुहावनी ।।




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