शाखों की बाहों से झांके, दुल्हन बनी बदरिया रे शाखों की बाहों से झांके, दुल्हन बनी बदरिया रे
याद आती है वो बातें, याद आती है वो मुलाकातें। याद आती है वो बातें, याद आती है वो मुलाकातें।
बन के फुहार तुम साँझ को आना दिन में तुम रिमझिम गिरना रात को तुम बिजली संग आना बन के फुहार तुम साँझ को आना दिन में तुम रिमझिम गिरना रात को तुम बिजली संग ...
वो बात ही कुछ और थी पहले पहले प्यार की। वो बात ही कुछ और थी पहले पहले प्यार की।
फिसल कर गिर जाना, पकड़ कर तुझे भी गिराना फिसल कर गिर जाना, पकड़ कर तुझे भी गिराना
काश कि ना समझी मे ही, बीत जाता सारा जीवन! काश कि ना समझी मे ही, बीत जाता सारा जीवन!