Dr Jogender Singh(jogi)
Fantasy
भीग जाना, भीग कर
फिर भाग जाना !
छुप जाना,
अचानक फिर सामने आना !
फिसल कर गिर जाना,
पकड़ कर तुझे भी गिराना !
ख़ुदा के शावर से नहाना,
उबटन ! कीचड़ का लगाना !
आज खिड़की से झांकता,
देख बारिश को सोचता !
बारिश, कितनी बदल गयी है !
नींद
गुरु
कैसी दीपावली
आखिरी जेवर
सुबह
भुल्लन
खिड़की की जाल...
विस्तार
बेपनाह
दूर नहीं तू
'कांपती पत्ती गुलाब की, यूँ अधरों को में रूप देता, फिर सिखा तुझे नाम अपना, तुझसे नया सा सुन लेता।' ए... 'कांपती पत्ती गुलाब की, यूँ अधरों को में रूप देता, फिर सिखा तुझे नाम अपना, तुझसे...
खुद ही पहेली बन जाने से पहले, धड़कनों को जरा तुम दबोच लो खुद ही पहेली बन जाने से पहले, धड़कनों को जरा तुम दबोच लो
रूह से रूह ने मिलके सीखा देह का हर एक दाग़ छुपाना...! रूह से रूह ने मिलके सीखा देह का हर एक दाग़ छुपाना...!
भावनाओं की डोर पर तर्क के खंजर से न वार करना भावनाओं की डोर पर तर्क के खंजर से न वार करना
आईं मिथिला की राजकुमारी वधू बनकर तुम्हारा अहोभाग्य था आईं मिथिला की राजकुमारी वधू बनकर तुम्हारा अहोभाग्य था
एक दिन ऐसा आएगा जब न्यायालयों से "तारीख" के बजाय वास्तविक न्याय मिलेगा। एक दिन ऐसा आएगा जब न्यायालयों से "तारीख" के बजाय वास्तविक न्याय मिलेगा।
‘गुडिया’ सी नुमाइश करती है फिर वह ‘टीवी’ ‘फ्रिज’ स्कूटर’ हो जाती है . ‘गुडिया’ सी नुमाइश करती है फिर वह ‘टीवी’ ‘फ्रिज’ स्कूटर’ हो जाती है .
शबनम की बूँद प्यार के खुमार में भौंरों के गुंजन गान में गुलशन गुलज़ार में शबनम की बूँद प्यार के खुमार में भौंरों के गुंजन गान में गुलशन गुलज़ार में
इक चूनर है जिसपर उसने खुद टांके थे चांद सितारे आज किसी ने पूछा मुझसे क्या रखा है पास इक चूनर है जिसपर उसने खुद टांके थे चांद सितारे आज किसी ने पूछा मुझसे क्या रखा...
मेरे सपने...। मेरे सपने...।
ये कविता महज़ एक आत्मा की उत्पत्ति है ये कविता महज़ एक आत्मा की उत्पत्ति है
तुमसे मिलकर अक्सर नज़रें झुकाते है, हवा से भी नज़रें नहीं मिला पाये, तुमसे मिलकर अक्सर नज़रें झुकाते है, हवा से भी नज़रें नहीं मिला पाये,
वात्सल्य उनकी आँखों का वर्णन से है दूर बहुत वात्सल्य उनकी आँखों का वर्णन से है दूर बहुत
और हमारे प्यार से रिश्ता अब सपनों की दुनिया मे निभाया करो और हमारे प्यार से रिश्ता अब सपनों की दुनिया मे निभाया करो
यह बहती नदी भी मैं आज से तुम औरतों के हवाले कर रहा हूँ यह बहती नदी भी मैं आज से तुम औरतों के हवाले कर रहा हूँ
कोई जगह कोई दहर हो जहाँ वक़्त न पंहुचा हो अभी भी बेवक़्त पहुँचेंगे वहाँ और बैठे रहेंगे सोचा क... कोई जगह कोई दहर हो जहाँ वक़्त न पंहुचा हो अभी भी बेवक़्त पहुँचेंगे वहाँ और ...
भीड़...। भीड़...।
ज़रूरी नहीं कि कोई रिश्ता एक उम्र जिया जाए एक रिश्ता हमें छुपा लेना चाहिए मेज़ की दराज़ ज़रूरी नहीं कि कोई रिश्ता एक उम्र जिया जाए एक रिश्ता हमें छुपा लेना चाहिए मेज़...
जिन्न ने कहा," जो हुक्म मेरे आका, इस वक्त की यही उचित मांग है।" जिन्न ने कहा," जो हुक्म मेरे आका, इस वक्त की यही उचित मांग है।"
ब्रज भूमि तो पिया की मोरे लीला का स्थल था, सीखना जो सबको पाठ अमर था ब्रज भूमि तो पिया की मोरे लीला का स्थल था, सीखना जो सबको पाठ अमर था