कुछ तो था!
कुछ तो था!
कुछ तो था.....
तेरे आने में
तेरी पायल की
छम छम आवाजों में,
वो बारिश की रात
तेरी भीगी बदन
वो खुली जुल्फें
और मुझसे गले मिलने में,
इसलिए तो याद
करता हूं वो दिन
आज भी तन्हाइयों में..।
कुछ तो था.....
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p;प्यार का खुमार
हम दोनो में
कॉलेज के बहाने
चोरी छुपे मिलने में,
तेरी दी हुई चिट्ठी
और लिपिस्टिक से
बनाई तेरी होंठ की
जादुई निशानी में,
रखा हूं संभाल के
आज भी वो आखिरी
पन्ना दिल की डायरी में...।