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Rohit Rahgir

Tragedy

4  

Rohit Rahgir

Tragedy

मैनें देखा है

मैनें देखा है

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                       मैंने

                                     ऊँचे ऊँचे

                         पहाड़ों को टूटते हुए देखा है

                   मैंने पत्थर को भी बिघलते हुए देखा है

             जो पलकें कभी नम ना हुए आंसुओं के बूंदों से

         उन आखों को अश्कों के समन्दर में डूबते हुए देखा है

        जिन्हें गुरूर है अपने शौहरत और दौलत पर हमेशा यहाँ

 जरा उन्हें भी बता दो मैं देश छोड़ कर माल्या को भागते हुए देखा है

 ग़रीबों के बच्चें जिन के नसीब में ना खाना है ना सर के लिए छत है

        मैंने उन बच्चों को फुटपाथ पर शुकून से सोते हुए देखा है

        मगर जो लोग रहते हैं करोडों की वातानुकूलित महलों में

        मैंने अक्सर उन्हें निदं के गोली खा कर मरते हुए देखा है

       जो रोज़ बक्ते रहतें हैं टीवी पर औरतों के हिफाज़त को ले

       कर, उन्हें अक्सर औरतों को बे-आबरू करते हुए देखा है

       और जो ढिंढोरा पीटते हैं कानून है गुनाहों के सजा के लिए

       उन्हें कौन बताये की मैं आए दिन कानून बिकते हुए देखा है

       कुछ लोग नसीहत देते हें दान करो ग़रीबों के मददगार बनो

   मैंने अक्सर उन्हें ग़रीबों के बस्ती तोड़ कर महल बनाते हुए देखा है

  आए दिन नेता अभिनेता और व्यापारियों को देश लूटते हुए देखा है

और एक सैनिक है जिसे मैं देश के लिए सीने में गोली खाते हुए देखा है।


                                   


     


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