खुदा फ़कीर मिले
खुदा फ़कीर मिले
भरोसे में दिल लुटाया जिस पर वो नाज़िर मिले
दर्द बांटा भी जिसे वो आँसूफरोश ताजिर मिले
भटका दर बदर मन्दिर मस्जिद दुआ के खातिर
लोग करते थे दुआ जिस खुदा से वो पत्थर मिले
पत्थर ही सही फिर भी मांगूँ कुछ जीने के लिए
लेकिन मन्दिर में रहने वाले खुदा मुझे फ़कीर मिले
जो कहते थे साथ निभायेंगे सात जन्मों तक यहाँ
सात जनम तो दूर इसी जनम में कोसों दूर मिले
कुछ हम दर्द थे शरीक होते थे मेरे सुख दुःख में
वक्त के नज़ाकत तो देखो वो आज लाचार मिले
इल्मे नुज्जूम जो कह देते हैं किसी के क़िस्मत हाथों
की लकीरें देख कर, उन्हें भी मेरे हथेली खुरदर मिले
शायद दिमागी हालत ठीक नहीं है सोच कर मिला
हकीम से, क़िस्मत तो देखो हकीम भी बीमार मिले।
