ये रात !
ये रात !
ये रात! जरा ठहर जा
तु रह रह के गुज़र
आ रही है सज धज कर
मेरी इश्क़ मेरे हमसफ़र.....
कितने दिनों बाद ये
भूल के सारे शर्म ओ हया
मेरी चांद मुस्कुराई है
घूंघट में बैठे मेरे पिया
आज इंतज़ार में है
मिलने को उनसे अब
दिल भी बेकरार है
देखूं उन्हें आँखें भरके
तू ये तमन्ना पूरा कर
ये रात! थोड़ा ठहर जा
जरा रह रह के गुज़र......
रहना है मुझे उनकी
बाहों में आज सारी रातें
छू के लबों को उनकी
करना है इश्क़ भरी बातें
मोहब्बत में उनके
सारी रात भीगना है
थोड़ा ख़ुद और थोड़ा
उन्हें भी भिगाना है
करूं वह चांद की दीदार
जरा आँखें तो बंद कर
ये रात ! थोड़ा ठहर जा
जरा रह रह के गुज़र......

