ग़ज़ल
ग़ज़ल


उसकी तो पहचान जुदा है
मुझसे वह इंसान जुदा है !
मेरी तेरी बात हो कैसे
अपना तो भगवान् जुदा है !
आँखें उसकी बता रही हैं
दिल से वह नादान जुदा है !
रात ख्वाब में आता है वो
दिन में वो शैतान जुदा है !
बात सत्य की उट्ठे कैसे
हम सबका ईमान जुदा है !
मैं तुझको तू मुझको समझे
यूँ अपनी ज़ुबान जुदा है !
तेरे जैसा सारा जग हो
अपना ये अरमान जुदा है !