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Prashank Chandra

Drama

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Prashank Chandra

Drama

वैलेंटाइन डे !

वैलेंटाइन डे !

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यह उसी रोज़ की बात है

जब चाँद रात को पूरा था !

हवाओं में गुनगुनाती ठण्ड थी !


उसी रोज़ जब तुम बारिश में सो गयी थीं !

तभी गीली हवा ने चलते हुए।


समंदर ने बहते हुए, आसमान ने रोते हुए

मुझे तुम्हारा पता दिया, उसी रोज़ हाँ उसी रोज़।


एक लैंप पोस्ट की पीली रौशनी में

एक बेतुकी कविता में


एक तप्त, सिक्त, व्यथित दिल में

मैंने प्यार की स्याही से तेरा नाम लिखा !


बहुत दिन हुए उस रोज़ को भूले बिसरे

आज किसी ने याद दिलाया की वो वैलेंटाइन था !


हाँ वैलेंटाइन ही होगा !

हर प्यारा दिन वैलेंटाइन ही होता है !


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