तुम सब से अलग हो
तुम सब से अलग हो
सब के लिये सोचना
सब के लिये जीना
सब से हंस के बात कर जाना
यही तेरी अदा तुम को सब से अलग बनाती है।।
दर्द का अहसास ना किसी को होने देना
दर्द में भी मुस्कान बिखेर जाना
हंसते हुए हर गलती जो तुम करते भी ना हो स्वीकार कर लेना
यही तेरी अदा तुम को सब से अलग बनाती है।।
सबको जींदा है रखना
सबको दुखों से दुर है रखना
सबके लिए अपनी इच्छा को किसी से ना कहना
यही तेरी अदा तुम को सब से अलग बनाती है।।
औरतें देखी पल भर में बहक जाने वाली
लाख मिले अपने परिवार में प्यार फिर भी बाहर तांक झांक वाली
तुम अडिग हो पत्नी धर्म के साथ, मातृत्व धर्म भी बखूबी तुम निभाती हो,
जिसे समझाना मुश्किल होता है, बताना नामुमकिन होता है।