मैंने कई मुसाफिरों को, मंजिल के बहुत करीब से लौटते देखा है, मैंने कई मुसाफिरों को, मंजिल के बहुत करीब से लौटते देखा है,
ऐसा अनोखा है रिश्ता जिसमे मिलन की आस नहीं, फ़िर भी ये जग ज़ाहिर है, दिन के बाद रात ही आनी ह... ऐसा अनोखा है रिश्ता जिसमे मिलन की आस नहीं, फ़िर भी ये जग ज़ाहिर है, दिन...
किस सांचे में ढल गई क्यों कर इतनी उलझ गई किस सांचे में ढल गई क्यों कर इतनी उलझ गई
ख़्यालात को, इंतज़ार कर रहे हैं, उसके आखिरी सवालात को, दूभर हो गया है। ख़्यालात को, इंतज़ार कर रहे हैं, उसके आखिरी सवालात को, दूभर हो गया...
सिस्टम को बिना साथ लिए नामुमकिन है धोखा देना। सिस्टम को बिना साथ लिए नामुमकिन है धोखा देना।
नामुमकिन कुछ भी नहीं दिल के लिए, इस बात का यकीन दिलाये बैठे हैं। नामुमकिन कुछ भी नहीं दिल के लिए, इस बात का यकीन दिलाये बैठे हैं।