STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Others

2  

Shailaja Bhattad

Others

रूठ गई

रूठ गई

1 min
292

मान गई ,

तेरे हर नाज़ुक पल को जान गई

तेरा मौन भी भाँप गई

खींची खींची सी नामुमकिन सी,

किस सांचे में ढल गई

क्यों कर इतनी उलझ गई


खोई खोई सी रह गई

पूरी ही बदल गई

टूट सी गई है

बिखरी बिखरी हो गई है

जिंदगी का कोई संकेत नहीं तुझ से

किस कदर रूठ गई है तू खुद से।


Rate this content
Log in