Ghazal
Ghazal
1 min
236
चरागों को बुझाना चाहता है
मुझे वो आजमाना चाहता है।
दिल की जेब यूँ तो खाली है
इश्क़ क्यों मुस्कराना चाहता है।
रहे नाम तेरा ही बुलंदी पर
क्यों सर मेरा झुकाना चाहता है।
ख्वाब में चाँद हो, चांदनी सी तुम
दिल फिर वक्त पुराना चाहता है।
मेरे दुःख से उसे तसल्ली हो
ये आखिर क्यों ज़माना चाहता है।